“Gram Shree,” Bhavarth of The 11th Chapter Of The Class 9 Hindi Book “Kshitij,” Written By Sumitranandan Pant . Making It An Essential Read For Class 9 Students. In This Article, We Provide A Detailed Bhavarth Of Gram Shree.
पुस्तक: | क्षितिज |
कक्षा: | 9 |
पाठ: | 11 |
शीर्षक: | ग्राम श्री |
लेखक: | सुमित्रानंदन पंत |
Gram Shree Bhavarth In Hindi
पहला छंद:
फैली खेतों में दूर तलक मखमल की कोमल हरियाली, लिपटीं जिससे रवि की किरणें चाँदी की सी उजली जाली! तिनकों के हरे हरे तन पर हिल हरित रुधिर है रहा झलक, श्यामल भू तल पर झुका हुआ नभ का चिर निर्मल नील फलक!
भावार्थ: कवि कहता है कि खेतों में दूर-दूर तक फैली हुई हरी-हरी घास मखमल की तरह कोमल है। उस पर सूर्य की किरणें चाँदी की जाली की तरह लिपटी हुई हैं। तिनकों पर हरी-हरी रक्तिम धारा झलक रही है और श्यामल भूमि पर आकाश का नीला पटल झुका हुआ है। इस दृश्य में प्रकृति की अद्भुत सुंदरता प्रकट होती है।
दूसरा छंद:
रोमांचित सी लगती वसुधा आई जौ गेहूँ में बाली, अरहर सनई की सोने की किंकिणियाँ हैं शोभाशाली ! उड़ती भीनी तैलाक्त गंध फूली सरसों पीली पीली , लो , हरित धरा से झाँक रही नीलम की कलि , तीसी नीली !
भावार्थ: यहाँ कवि कहता है कि धरती रोमांचित होकर नई फसलें उगाने में मग्न है। जौ और गेहूँ की बालियाँ आई हैं, अरहर और सनई की सोने जैसी कंकणियाँ शोभा बढ़ा रही हैं। सरसों के पीले फूलों से निकलती भीनी-भीनी खुशबू चारों ओर फैल रही है। हरित धरती से नीली तीसी के फूल नीलम की कली की तरह झाँक रहे हैं।
तीसरा छंद:
रंग रंग के फूलों में रिलमिल हंस रही सखियाँ मटर खड़ी , मखमली पेटियों सी लटकीं छीमियाँ, छिपाए बीज लड़ी ! फिरती है रंग रंग की तितली रंग रंग के फूलों पर सुंदर , फूले फिरते ही फूल स्वयं उड़ उड़ वृंतों से वृंतों पर !
भावार्थ: कवि बताता है कि विभिन्न रंगों के फूलों के बीच हँसती-मुस्कराती मटर की फसल खड़ी है। मखमली पेटियों की तरह लटकी हुईं छीमियाँ (मटर की फली) बीजों की लड़ियाँ छिपाए हुए हैं। रंग-बिरंगी तितलियाँ सुंदर फूलों पर मँडरा रही हैं और फूल भी एक वृंत से दूसरे वृंत पर खिलते हुए लग रहे हैं।
चौथा छंद:
अब रजत स्वर्ण मंजरियों से लद गई आम्र तरु की डाली, झर रहे ढ़ाक , पीपल के दल , हो उठी कोकिला मतवाली ! महके कटहल, मुकुलित जामुन , जंगल में झरबेरी झूली , फूले आड़ू , नीम्बू , दाड़िम आलू , गोभी , बैगन , मूली !
भावार्थ: इस छंद में कवि आम के पेड़ों की डालियों पर लदी हुई रजत (चाँदी) और स्वर्ण (सोना) मंजरियों की बात करता है। ढाक और पीपल के पत्ते झर रहे हैं और कोयल मतवाली हो उठी है। कटहल महक रहे हैं, जामुन फूल रहे हैं और जंगल में झरबेरी लदी हुई है। आड़ू, नीम्बू, दाड़िम, आलू, गोभी, बैगन और मूली सभी फूल रहे हैं।
पाँचवा छंद:
पीले मीठे अमरूदों में अब लाल लाल चित्तियाँ पड़ीं , पक गये सुनहले मधुर बेर , अँवली से तरु की डाल जड़ी! लहलह पालक, महमह धनिया , लौकी औ’ सेम फलीं , फैलीं मखमली टमाटर हुए लाल , मिरचों की बड़ी हरी थैली !
भावार्थ: कवि अमरूदों के पीले और मीठे फलों में लाल चित्तियाँ पड़ने की बात करता है। सुनहरे और मीठे बेर पक चुके हैं और आंवला से पेड़ की डालियाँ लद गई हैं। पालक लहलहा रहा है, धनिया महक रहा है, लौकी और सेम की फली फैल रही है। मखमली टमाटर लाल हो गए हैं और मिर्चों की बड़ी हरी थैलियाँ दिख रही हैं।
छठा छंद:
बालू के साँपों से अंकित गंगा की सतरंगी रेती सुंदर लगती सरपत छाई तट पर तरबूजों की खेती ; अँगुली की कंघी से बगुले कलँगी सँवारते हैं कोई , तिरते जल में सुरखाब , पुलिन पर मगरौठी रहती सोई !
भावार्थ: कवि यहाँ गंगा नदी की सतरंगी रेत की बात करता है जो बालू के साँपों से अंकित है। तट पर सरपत छाई हुई है और तरबूजों की खेती हो रही है। बगुले अपनी कलँगी अँगुली की कंघी से सँवार रहे हैं और जल में सुरखाब तैर रहे हैं। पुलिन पर मगरौठी (मगरमच्छ) सोई हुई है।
सातवाँ छंद:
हँसमुख हरियाली हिम-आतप सुख से अलसाए-से सोये , भीगी अँधियाली में निशि की तारक स्वप्नों में-से खोये- मरकत डिब्बे सा खुला ग्राम- जिस पर नीलम नभ आच्छादन- निरुपम हिमांत में स्निग्ध शांत निज शोभा से हरता जन मन !
भावार्थ: कवि कहता है कि हरियाली हँसमुख होकर हिम-आतप में सुख से अलसाए-से सो रहे हैं। रात की भीगी अँधियाली में तारे स्वप्नों में खोए हुए हैं। यह गाँव मरकत (पन्ना) के डिब्बे की तरह खुला हुआ है, जिस पर नीला आकाश आच्छादन है। यह निरुपम हिमांत में स्निग्ध और शांत होकर अपनी शोभा से लोगों का मन मोह रहा है।
ग्राम श्री सारांश:
इस कविता में कवि ने ग्रामीण जीवन और प्रकृति के विभिन्न रंगों को जीवंतता से वर्णन किया है। हरियाली, फसलें, पेड़-पौधे, फल-फूल, नदी और उसकी रेत, जानवर और पक्षियों के माध्यम से प्रकृति की मनमोहक छवि प्रस्तुत की गई है। कवि ने प्रकृति के सौंदर्य को इस प्रकार से चित्रित किया है कि पाठक उसके माध्यम से ग्रामीण जीवन की ताजगी और खुशहाली को महसूस कर सके।
Last Paragraph: I Hope Your Issue With The Bhavarth For Class 9 Hindi ‘Kshitij Chapter 11 Gram Shree’ Has Been Resolved. Thank You For Visiting Our Site, And We Wish You Success In Your Studies.